“क्रियायोग : सात्त्विक युग का अग्रदूत”

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हैदराबाद, 16 फरवरी, 2023 :  योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (वाईएसएस/एसआरएफ़) के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, स्वामी चिदानन्दजी ने 16 फरवरी 2023 को हैदराबाद के कान्हा शान्ति वनम् में आयोजित वाईएसएस संगम 2023 के समापन समारोह में 2,800 से अधिक भक्तों को प्रोत्साहित करते हुए ओर श्री श्री परमहंस योगानन्द के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, “निरन्तर ईश्वर के सानिध्य में रहना ही सच्ची सफलता का मार्ग है; रात्रि में अपने ध्यान में उनके सानिध्य में रहें, और प्रातःकाल जब आप सोकर उठें तो उन्हें अपने समीप अनुभव करते हुए संसार के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार रहें।… तब आप वह कर सकते हैं जिसका परामर्श हमारे गुरुदेव ने दिया है, ‘हे संसार आगे बढ़ो, मैं तुम्हारे लिए तैयार हूँ!’”

स्वामी चिदानन्दजी ने कहा, “हमने माया के बन्धन में प्रवेश करने के लिये विचारशक्ति का प्रयोग नहीं किया था और विचारशक्ति के प्रयोग से हम उसके बन्धन से मुक्त भी नहीं हो सकते हैं। क्रियायोग की कुंजी से हम माया के बन्धन से मुक्त होने का मार्ग खोज सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “क्रियायोग एक महान् शोधक है क्योंकि उसके माध्यम से हम तामसिक गुणों से मुक्ति प्राप्त करते हैं, और वह व्यक्ति को सात्त्विक गुणों की जाग्रति का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करता है।”

इस विषय पर प्रकाश डालते हुए स्वामीजी ने योग के तीन प्रभावों का उल्लेख करते हुए आगे कहा, “योग से एक सात्विक मस्तिष्क, एक सात्विक हृदय और सात्विक तंत्रिकाओं का निर्माण होता है। जब सात्विक गुणों की अभिव्यक्ति से लोगों में व्यक्तिगत परिवर्तन होगा तो संसार भी परिवर्तित होगा।”

योगानन्दजी की ध्यान-योग शिक्षाओं में निमज्जन के उद्देश्य से स्वामी चिदानन्दजी की अध्यक्षता में आयोजित इस पाँच-दिवसीय संगम में भारत और सम्पूर्ण विश्व के हज़ारों वाईएसएस और एसआरएफ़ भक्तों ने व्यक्तिगत रूप में उपास्थित होकर अथवा सीधे प्रसारित ऑनलाइन कार्यक्रमों में भाग लिया।

स्वामी चिदानन्दजी ने भक्तों को क्रियायोग गुरुओं की शरण लेने के लिए प्रोत्साहित किया, “…जो अपनी प्रेममयी सुरक्षा के दुर्ग में खुले हृदय से आपको आमन्त्रित कर रहे हैं।” स्वामीजी ने अपने पिछले सत्संग के शब्दों को दोहराते हुए कहा, “क्रियायोग की शरण लेने से वह आपको मौन, शान्ति, ज्ञान, और आनन्द के मन्दिर में ले जाता है जहाँ आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है; तथा आपको इसका अनुभव होता है।” उन्होंने आगे कहा, “आपमें से प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर को प्रिय है। इसमें कभी भी सन्देह न करें। और अधिक गहराई में जाएँ और आपको इसका ज्ञान हो जाएगा।”

विश्व-विख्यात आध्यात्मिक गुरु श्री श्री परमहंस योगानन्दजी, जो आध्यात्मिक उत्कृष्ट पुस्तक योगी कथामृत के लेखक भी हैं, ने इन आध्यात्मिक संस्थाओं — योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है) तथा सेल्फ़ रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (एसआरएफ़, जिसका मुख्यालय लॉस एंजेलिस, अमेरिका में है) — की स्थापना 100 से भी अधिक वर्षों पूर्व की थी।

वाईएसएस/एसआरएफ़ भक्तों के वैश्विक समुदाय की ओर से अमेरिका, जापान, चंडीगढ़, और हैदराबाद के चार भक्तों ने स्वामी चिदानन्दजी को इस वाईएसएस संगम के लिए व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद व्यक्त किया।

हैदराबाद के एक भक्त ने संगम के बारे में अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, “स्वामी चिदानन्दजी और वाईएसएस संन्यासियों के साथ सत्संग से हमें अत्यंत आनन्द का अनुभव हुआ है, विशेष रूप से स्वयं स्वामी चिदानन्दजी द्वारा संचालित दीर्घ ध्यान-सत्र में भाग लेकर। मेरे लिये यह एक महान् और दुर्लभ आशीर्वाद है।”

जबलपुर, मध्य प्रदेश की एक युवा भक्त ने इन शब्दों में बताया कि संगम ने उन्हें कैसे रूपान्तरित किया है, “अपने व्यस्त जीवन से यह एक सुखद संक्षिप्त अवकाश था और मैं अपनी साधना पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित कर सकी और सभी वस्तुओं की अपेक्षा ईश्वर के प्रेम की खोज करने वाले मेरे जैसे हज़ारों अन्य लोगों के सानिध्य में समय व्यतीत कर सकी।”

सेलम, तमिलनाडु के अन्य भक्त ने कहा, “इन पाँच दिनों में तीन हज़ार से अधिक भक्तों के साथ दिव्य सत्संग ने मुझे अपनी व्यक्तिगत साधना को गहन करने के लिए एक बार पुनः नये सिरे से प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया है।” अधिक जानकारी : yssi.org

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