योगदा सत्संग शैक्षणिक परिसर, जगन्नाथपुर (रांची) में नए भवनों का उद्घाटन

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रांची : 29 जनवरी, 2023 : योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इण्डिया/सेल्फ रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (वाईएसएस/एसआरएफ़) के आदरणीय अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, स्वामी चिदानन्द गिरि ने 29 जनवरी को उच्च पदाधिकारियों, संन्यासियों, भक्तों और संस्थानों के अध्यापकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति में जगन्नाथपुर, रांची में योगदा सत्संग शैक्षणिक परिसर में अनेक नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन किया।
इन नए भवनों में योगदा सत्संग महाविद्यालय के लिए एक बड़ा सभा भवन एवं बहुउद्देशीय कक्ष भवन, और योगदा सत्संग विद्यालय के लिए एक अत्याधुनिक नया विद्यालय परिसर सम्मिलित हैं।

  नए विद्यालय परिसर का डिज़ाइन श्री श्री परमहंस योगानन्द (योगी कथामृत पुस्तक के लेखक और भारत की क्रियायोग शिक्षाओं का सम्पूर्ण विश्व में प्रसार करने के लिए एक जगद्गुरू के रूप में परम पूज्यनीय) द्वारा अपनाये गए प्राचीन गुरुकुल सिद्धान्तों पर आधारित है। उदाहरणार्थ प्रकृति के सानिध्य में खुले वातावरण में विद्यार्थियों को शिक्षित करने की अवधारणा। नए विद्यालय परिसर में हवादार कक्षाएं, प्रयोगशालाएं, एक एनसीसी भवन, एक प्रशासनिक भवन के अतिरिक्त अन्य भवन भी सम्मिलित हैं। यह आधुनिक विद्यालय परिसर समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों के द्वारा प्रयोग किया जाएगा।

सरकार के सहयोग से निर्मित
सन् 2018 में संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत परिचालित राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति ने श्री श्री परमहंस योगानन्दजी की 125वीं जयंती पर उन्हें सम्मानित करने और स्मरणोत्सव मनाने के उद्देश्य से भारत के इस महान् आध्यात्मिक पुत्र की शिक्षाओं और आदर्शों के प्रसार हेतु अनेकों योजनाओं और कार्यक्रमों के आयोजन में वाईएसएस की सहायता करने का निश्चय किया था। इस योजना के अन्तर्गत एक उपक्रम जगन्नाथपुर, रांची में योगदा सत्संग विद्यालय एवं महाविद्यालय की शैक्षणिक सुविधाओं में सुधार करना था। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए 8 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृति की थी। इस परियोजना की कुल लागत की शेष राशि भक्तों के उदार अनुदानों के माध्यम से वाईएसएस द्वारा खर्च की गई थी।
स्वामी चिदानन्दजी ने कहा, “युवकों के लिए उचित शिक्षा का आदर्श श्री श्री परमहंस योगानन्दजी के हृदय के अत्यंत निकट था” उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने केवल शरीर और बुद्धि के विकास के उद्देश्य से दिये जाने वाले सामान्य निर्देशों के शुष्क परिणामों को स्पष्ट रूप से देखा था। उन्होंने देखा कि औपचारिक पाठ्यक्रम में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की कमी थी, जिन्हें आत्मसात् किए बिना किसी भी व्यक्ति को सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है। इसलिए योगानन्दजी ने एक विद्यालय की स्थापना करने का निर्णय किया, जहाँ युवा बालक शरीर, मन और आत्मा के सन्तुलित विकास के द्वारा मनुष्यता की पूर्ण उच्चता को प्राप्त कर सकते थे।”

स्वामीजी ने कहा, “हमारे लिए यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि यह आधुनिक एवं नवीनतम तकनीक से निर्मित विद्यालय परिसर पूर्ण रूप से रांची के स्थानीय समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा प्रयोग किया जाएगा।”

  जिन बच्चों को इस प्रकार की सुविधा की अधिकतम आवश्यकता है किन्तु जिनके पास इस मूलभूल आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं, उन सबके लिए यह नया विद्यालय संकुल उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वरिष्ठ संन्यासी स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने नवनिर्मित भवनों के विवरण साझा करते हुए कहा, “परिसर में हरियाली बनाए रखने का पूरा प्रयास किया गया है और निर्माण कार्य करते हुए पेड़-पौधों को न्यूनतम क्षति पहुँचाने का प्रयास किया गया है। निःसन्देह नयी कक्षाओं का निर्माण प्राचीन और आधुनिक शैली के अनुपम मिश्रण के साथ किया गया है। इसमें सुदृढ़ फर्नीचर और नए कम्प्यूटर लगाए गए हैं; विज्ञान के विषयों से सम्बन्धित प्रयोग करने के लिए नयी प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है; विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और सुधाओं का ध्यान रखते हुए एक मध्याह्न भोजन भवन और साइकिलों के लिए एक नए शेड का भी निर्माण किया गया है।”
नए भवन अब उपयोग के लिए तैयार हैं और उन्हें योगदा सत्संग विद्यालय और महाविद्यालय के साथ अपनी विद्यालय यात्रा पुनः प्रारम्भ करने के लिए आने वाले उत्सुक बच्चों के कदमों की आहट की प्रतीक्षा है।

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